कर्मबोध दायित्व जगाना गीता का उपदेश है.
सत्य अहिंसा का पावनतम शुचि इसका उपदेश है.
जन जन के भाग्योदय हित नवतम इसका उन्मेष है-
रामराज्य के सपनों का वन्दनीय यह देश है ..
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"सरकार"
शासन में जिसके खुशियों का संसार नहीं है.
नीतियों में जिसके पुष्ट जनाधार नहीं है.
जनता की हिफाजत जो करने में हो अक्षम-
वादों से जो मुकर जाय वो सरकार नहीं है ..
Friday, December 10, 2010
Tuesday, October 26, 2010
Monday, September 20, 2010
कुछ मुक्तक
हिन्दी
हिन्दी है राजनीति की शिकार हो गयी।
धारा संविधान की बेकार हो गयी ।
सोते रहे रहनुमा कुर्सी के मोह में--
है राष्ट्रभाषा संसद में लाचार हो गयी ।
हिन्दी का पोर-पोर बिंधा घावों से ।
हो गया आहत ह्रदय बिडम्बनाओं से ।
कलम के सिपाहियों खामोश मत रहो --
है राष्ट्र भाषा सिसक रही वेदनाओं से ।
अखबार
डर जाये जो आतंक से कलमकार नहीं है ।
मोड़े जो मुख सत्य से पत्रकार नहीं है ।
जनता के दुखदर्द को जो लिख नहीं पाया--
हो कुछ भी वो मगर वो अखबार नहीं है ।
हिन्दी है राजनीति की शिकार हो गयी।
धारा संविधान की बेकार हो गयी ।
सोते रहे रहनुमा कुर्सी के मोह में--
है राष्ट्रभाषा संसद में लाचार हो गयी ।
हिन्दी का पोर-पोर बिंधा घावों से ।
हो गया आहत ह्रदय बिडम्बनाओं से ।
कलम के सिपाहियों खामोश मत रहो --
है राष्ट्र भाषा सिसक रही वेदनाओं से ।
अखबार
डर जाये जो आतंक से कलमकार नहीं है ।
मोड़े जो मुख सत्य से पत्रकार नहीं है ।
जनता के दुखदर्द को जो लिख नहीं पाया--
हो कुछ भी वो मगर वो अखबार नहीं है ।
Wednesday, June 16, 2010
पद्म कान्त शर्मा "प्रभात"
परिचय से पद्म कान्त शर्मा "प्रभात" हू मै,
कवीता, लेखन, समिक्छा, ओ पत्रकार हू मै.
कवीता, लेखन, समिक्छा, ओ पत्रकार हू मै.
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